The Great Tuition Scam: Parents, Pressure, and Pointless Degrees
भारत में हर गली में एक मंदिर है, एक मेडिकल स्टोर है, और एक ट्यूशन सेंटर। यह देश अब भगवान से ज्यादा coaching पर भरोसा करता है। हर parent को लगता है कि उनका बच्चा extra class लेगा तो life में extra successful होगा। और यही भरोसा अब एक ऐसे कारोबार में बदल गया है जो डर पर चलता है, ज्ञान पर नहीं।

1. ट्यूशन इंडस्ट्री – 1 लाख करोड़ का डर
देश में ट्यूशन इंडस्ट्री का कारोबार अब ₹1 लाख करोड़ से ज़्यादा का हो चुका है। हर साल माता-पिता बच्चों की पढ़ाई से ज़्यादा उनकी ट्यूशन फीस पर खर्च करते हैं। पर क्या यह निवेश सच में पढ़ाई में मदद करता है या सिर्फ अगले की तरह पीछे न रह जाने का डर शांत करता है?
2. माता-पिता की चिंता बनाम समाज की उम्मीद
हर Desi parent का सपना होता है – “मेरा बच्चा डॉक्टर, इंजीनियर या सरकारी अफसर बने।” इस सपने में बच्चे की पसंद का कोई रोल नहीं होता। सुबह स्कूल, दोपहर ट्यूशन, शाम homework, और रात mock test – यही दिनचर्या बन चुकी है। समाज ने सिखा दिया है कि अगर बच्चा topper नहीं है तो failure है।
3. बच्चों की ज़िंदगी – टेबल, चेयर और तनाव
आज का बच्चा syllabus के नीचे दबा हुआ है। रविवार छुट्टी नहीं, revision day बन गया है। parent कहते हैं – “हम तुम्हारे अच्छे future के लिए कर रहे हैं,” लेकिन बच्चा सोचता है – “मेरा present किसके लिए है?”
4. ट्यूशन टीचर – गुरु नहीं, growth startup
अब ट्यूशन पढ़ाना नया startup model बन गया है। Posters लगते हैं – “पिछले 5 सालों में 30 toppers हमारे institute से।” Result किसी बच्चे का नहीं, brand का showcase बन गया है। शिक्षा का उद्देश्य सीखना नहीं, दिखाना बन गया है।

5. ऑनलाइन कोचिंग का नया जाल
Pandemic के बाद online coaching platforms ने इसे और बड़ा बना दिया। अब हर जगह slogans हैं – “Guaranteed Rank” या “Enroll before it’s too late।” Parents को लगता है technology से पढ़ाई आसान हो गई, पर सच में अब बच्चे 24 घंटे पढ़ाई से भाग नहीं सकते।
6. डिग्रियाँ – showpiece या solution?
हर साल लाखों बच्चे degree लेकर बाहर आते हैं, लेकिन नौकरी मिलती है call center में। क्योंकि degrees अब skill नहीं सिखातीं, बस parents को लगता है “degree होनी चाहिए।” Education system अब manufacturing unit बन चुका है – degree बाहर आती है, purpose अंदर मर जाता है।
7. असली सवाल – क्या हम बच्चों पर भरोसा नहीं करते?
शायद नहीं। हम उन्हें पढ़ाते हैं, पर सुनते नहीं। हम उनकी पसंद पर शक करते हैं, पर अपनी उम्मीदों को सच मानते हैं। “Guidance” और “Control” का फर्क भूल गए हैं।
8. भविष्य की शिक्षा – skill, curiosity और choice
अगर कुछ बदलना है तो यह mindset। बच्चों को “how to think” सिखाना होगा, “what to think” नहीं। स्कूल को marks नहीं, understanding पर आंकना होगा। Parents को मानना होगा कि हर बच्चा topper नहीं होता, लेकिन हर बच्चा capable होता है।
निष्कर्ष – शिक्षा नहीं, समझ की जरूरत है
Education अब ambition नहीं, anxiety बन चुकी है। Parents अपने डर को “discipline” कहकर बेचते हैं और institutes उस डर को “course” बना देते हैं। The great tuition scam पैसे का नहीं, भरोसे का है। जब तक हम बच्चों की सोच को नहीं समझेंगे, तब तक degrees तो मिलेंगी, direction नहीं।
लेख © 2025 Desi Radar. Sources: public reports, media observations, and parental interviews.