सिनेमा और सियासत के दोहरे मापदंड: पुष्पा की भगदड़ बनाम थलाइपथी की रैली | Desi Radar
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Published: 3 October 2025
Pushpa vs Vijay - Desi Radar feature

सिनेमा और सियासत के दोहरे मापदंड: पुष्पा की भगदड़ बनाम थलाइपथी की रैली

Desi Radar Editorial • 3 अक्टूबर 2025 • India Affairs

संक्षेप: हैदराबाद में पुष्पा 2 के प्रीमियर पर एक मौत और तमिलनाडु की विजय रैली में 41 मौतें - दोनों घटनाओं ने कानून और जिम्मेदारी पर बड़ा सवाल उठाया। क्या सिनेमा और सियासत में न्याय सबके लिए बराबर है? पूरा विश्लेषण पढ़ें।

भीड़ और जुनून - दो कहानियों की शुरुआत

भारत में भीड़ एक अजीब जीव है। कभी त्योहार की रौनक, कभी किसी स्टार की झलक का जुनून और कभी राजनीतिक प्रदर्शन की ताकत। भीड़ की यह ऊर्जा कई बार सुरक्षा की सबसे कमजोर कड़ी भी बन जाती है। हाल की दो घटनाओं ने यह सवाल और गहरा कर दिया है - हैदराबाद का पुष्पा 2 प्रीमियर और करूर की विजय रैली। दोनों में परिणाम भयावह रहे, लेकिन कार्रवाई और सार्वजनिक प्रतिक्रिया में बड़ा फर्क दिखा। यही फर्क सवाल उठाता है कि क्या कानून सबके लिए बराबर है।

पुष्पा 2 का प्रीमियर और भगदड़

4 दिसंबर 2024 को हैदराबाद के संध्या थिएटर में पुष्पा 2 का भव्य प्रीमियर आयोजित था। अल्लू अर्जुन की मौजूदगी में हजारों दर्शक उमड़े। भीड़ इतनी बेकाबू हुई कि भगदड़ मच गई। इसमें 39 वर्षीय रेवती की मृत्यु हो गई और उनकी 13 वर्षीय बेटी गंभीर रूप से घायल हुई। पुलिस ने इस घटना को गैर इरादतन हत्या और जीवन को खतरे में डालने के मामले के रूप में दर्ज किया। अल्लू अर्जुन को गिरफ्तार किया गया और बाद में हाईकोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत दी।

पीड़ित परिवार और सार्वजनिक प्रतिक्रिया

रेवती का परिवार न्याय की मांग करता रहा। सोशल मीडिया पर इस घटना ने व्यापक गुस्सा पैदा किया। फैंस ने आयोजकों की लापरवाही पर सवाल उठाए और कहा कि इतने बड़े इवेंट में सुरक्षा इंतजाम नाकाफी क्यों थे।

विजय की राजनीतिक रैली और करूर की त्रासदी

27 सितंबर 2025 को तमिलनाडु के करूर में विजय की राजनीतिक पार्टी टीवीके की रैली थी। भीड़ उम्मीद से ज्यादा थी। देर और ओवरक्राउडिंग की वजह से भगदड़ मच गई और अस्थायी संरचनाएं गिर गईं। इस हादसे में 41 लोग मारे गए और पचास से ज्यादा घायल हुए। इसमें नौ बच्चे और सत्रह महिलाएं शामिल थीं। पुलिस ने कुछ पार्टी नेताओं पर केस दर्ज किया, लेकिन विजय पर व्यक्तिगत कार्रवाई नहीं हुई।

राजनीतिक जवाबदेही और सार्वजनिक गुस्सा

विजय ने घटना के बाद शोक व्यक्त किया और रैली स्थगित कर दी। लेकिन उन्होंने पीड़ितों से मुलाकात नहीं की, यह कहते हुए कि उनकी मौजूदगी स्थिति को असामान्य बना सकती थी। इस तर्क को लोगों ने नकार दिया और सोशल मीडिया पर #ArrestVijayJoseph ट्रेंड करने लगा। विपक्षी दलों ने भी मांग की कि बड़े नेताओं की जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए।

एक नजर में तुलना

पैरामीटर पुष्पा प्रीमियर विजय रैली
तारीख 4 दिसंबर 2024 27 सितंबर 2025
स्थान संध्या थिएटर, हैदराबाद करूर, तमिलनाडु
मौतें 1 (रेवती) 41 (9 बच्चे, 17 महिलाएं)
कारण भीड़ की भगदड़ ओवरक्राउडिंग और संरचना का गिरना
कार्रवाई अल्लू अर्जुन गिरफ्तार, बाद में जमानत स्थानीय नेताओं पर केस, विजय पर कोई कार्रवाई नहीं
राज्य सरकार तेलंगाना (कांग्रेस) तमिलनाडु (डीएमके)

कानून का तराजू - क्यों अलग दिखता है

पुष्पा 2 के मामले को निजी इवेंट माना गया, इसलिए आयोजकों और स्टार पर कार्रवाई हुई। वहीं करूर की रैली राजनीतिक कार्यक्रम थी, और जिम्मेदारी पार्टी और स्थानीय प्रशासन पर डाल दी गई। यही दोहरा रवैया जनता को खटक रहा है।

सोशल मीडिया और जनदबाव

पुष्पा प्रीमियर की घटना पर लोगों ने न्याय की मांग की और परिवार के साथ खड़े हुए। करूर की रैली के बाद जनता ने बड़े राजनीतिक चेहरों पर सीधे सवाल उठाए। सोशल मीडिया ने दोनों घटनाओं को राष्ट्रीय बहस में ला दिया।

क्या समाधान हो सकते हैं

  • हर इवेंट आयोजक के लिए भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा योजना अनिवार्य हो।
  • राजनीतिक और निजी आयोजनों पर एक जैसे नियम लागू हों।
  • हादसों की जांच स्वतंत्र और त्वरित हो।
  • पीड़ितों को तुरंत राहत और कानूनी सहायता मिले।

निष्कर्ष

पुष्पा का प्रीमियर हो या विजय की रैली - भीड़ का खामियाजा आम जनता ने भुगता। फर्क सिर्फ कार्रवाई और जवाबदेही में दिखा। अगर कानून सबके लिए बराबर नहीं होगा तो लोगों का भरोसा टूटेगा। सितारों और नेताओं के लिए अलग नियम नहीं होने चाहिए। सुरक्षा मानक और जवाबदेही हर आयोजन के लिए एक जैसी होनी चाहिए।


लेख © 2025 Desi Radar. Sources: public reports, media coverage and social posts.