ओला, उबर और रैपिडो: ग्राहक की नज़र से सुविधा या बोझ? | Desi Radar
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Published: 3 October 2025
Ola Uber Rapido - feature

ओला, उबर और रैपिडो: ग्राहक की नज़र से सुविधा या बोझ?

Desi Radar Editorial • 3 अक्टूबर 2025 • India Transport

सुबह की शुरुआत, सफर की उलझन

सुबह ऑफिस जाने की जल्दी में ऐप खोलते हैं। एक टैप और राइड बुक। पर पाँच मिनट बाद ड्राइवर कॉल कर कह देता है, "कहाँ जाना है?" और अचानक राइड कैंसिल। ग्राहक की नज़र से यह सिर्फ़ समय बर्बादी नहीं, रोज़ का तनाव है।

राइड कैंसिलेशन: लगातार बढ़ती शिकायतें

कैंसिलेशन सबसे आम फिक्र बन चुकी है। ड्राइवर दूरी या फेयर देखकर बुकिंग लेने के बाद रद्द कर देते हैं। नतीजा: दोबारा बुकिंग, टाइम लॉस और कभी-कभी महंगा किराया। कुछ राज्यों में सरकार ने मुआवज़े के नियम लागू किए, पर हर जगह असर नहीं दिखा।

गाड़ियों की हालत: सफाई पर सवाल

cab hygiene example

कई यात्रियों को बदबूदार सीट, टूटी बेल्ट और गंदे सीट कवर मिलते हैं। बाइक टैक्सी में हेलमेट की खराब स्थिति सुरक्षा जोखिम है। ग्राहक का अनुभव यह कहता है कि ऐप पर दिखाया गया ब्रांड और जमीन पर मिलने वाली वास्तविकता अक्सर अलग होती है।

ड्राइवर का व्यवहार: पेशेवरियत या चिड़चिड़ापन

एक्स्ट्रा पैसे मांगना, रूखा व्यवहार, और कभी-कभी सीधे कैश की माँग—ये सामान्य शिकायतें हैं। पीछे की वजह अक्सर आर्थिक दबाव है। पहले हर राइड पर 20–25% कमीशन कटता था। नया सब्सक्रिप्शन मॉडल मदद कर रहा है, पर भरोसा अभी टूटा हुआ दिखता है।

सर्ज प्राइसिंग: जेब पर भारी बोझ

पीक टाइम में किराया अचानक कई गुना बढ़ जाता है। पांच किलोमीटर का सफर कभी 120 रुपये में तो कभी 300 रुपये में पड़ जाता है। ऐप "high demand" दिखाता है, पर ग्राहक के लिए कब और क्यों सर्ज लगेगा यह पारदर्शी नहीं होता।

कस्टमर सपोर्ट: शिकायत का समाधान अधूरा

खोई हुई चीज़, ओवरचार्ज या सुरक्षा संबंधित शिकायत पर अक्सर सिर्फ़ ऑटो-रेप्लाई मिलता है। इंसान से बात करके तुरंत निवारण मिलना मुश्किल है। ग्राहक का भरोसा तब कमज़ोर होता है जब भुगतान करके भी आवाज नहीं उठती।

सब्सक्रिप्शन मॉडल: राहत या नई उलझन?

Rapido ने 2023 में फ्लैट-फीस मॉडल शुरू किया। Uber और Ola ने भी 2025 में पास और zero commission जैसी योजनाएँ पेश कीं। ग्राहकों को फायदा यह हुआ कि कुछ राइड्स सस्ते पड़ने लगे। पर मॉडल के चलते GST और इनवॉइस का नया विवाद उठ खड़ा हुआ है।

GST इनवॉइस: Uber आगे, Ola और Rapido पीछे

बिजनेस यात्रियों के लिए GST इनवॉइस जरूरी है ताकि वे ITC क्लेम कर सकें। Uber ऐप पर GST ब्रेकअप और इनवॉइस देता है। Ola और Rapido पर अधिकांश मामलों में ग्राहक सिर्फ़ रसीद पाते हैं। Indian Express जैसे अख़बारों की रिपोर्ट के अनुसार कंपनियाँ CBIC से क्लैरिटी मांग रही हैं।

UPI पेमेंट: ग्राहक अनुभव और असुविधा

कई ड्राइवर UPI लेने से बचते हैं और कैश मांगते हैं। ग्राहक की नज़र से यह बड़ा झटका है—हर कोई कैश नहीं रखता। UPI रसीद और GST रिपोर्टिंग में तालमेल की कमी से दोनों पक्ष परेशान हैं।

सुरक्षा: महिलाओं की चिंता

रात में यात्रा करने वाली महिलाओं के लिए सुरक्षा प्राथमिकता है। SOS बटन और हेल्पलाइन होने के बावजूद तत्काल मानवीय मदद ज्यादातर मामलों में नहीं मिलती। ड्राइवर का व्यवहार और रूट बदलना यात्रियों में असुरक्षा पैदा करता है।

सरकार, अदालत और AAR

2024–25 में कई राज्यों ने प्लेटफॉर्म्स पर नोटिस और जुर्माने दिए। कर्नाटक AAR ने Rapido पर GST लागू होने की बात कही। इस तरह के फैसले और अलग-अलग रूलिंग से ग्राहकों को भी अस्पष्टता का सामना करना पड़ता है।

ग्राहक की प्राथमिक माँगें

  • राइड कैंसिलेशन पर सख्त नियम और मुआवज़ा।
  • गाड़ियों और हेलमेट की नियमित जाँच और सफाई।
  • पारदर्शी प्राइसिंग और सर्ज का स्पष्ट ब्रेकअप।
  • प्रत्येक राइड पर GST इनवॉइस, खासकर बिजनेस यात्रियों के लिए।
  • कस्टमर सपोर्ट में तत्काल इंसानी संपर्क का विकल्प।
  • महिलाओं के लिए सख्त सुरक्षा मानक और तत्काल सहायता।

निष्कर्ष

एक टैप पर राइड मिलना सुविधाजनक है। पर जब कैंसिलेशन, गंदगी, असभ्य व्यवहार, सर्ज और इनवॉइस की समस्याएँ साथ होती हैं तो यह सुविधा बोझ बन जाती है। ग्राहक की आवाज़ स्पष्ट है: पारदर्शिता, सुरक्षा और भरोसेमंद इनवॉइसिंग के बिना ये प्लेटफॉर्म असली विश्वास वापस नहीं ला पाएँगे।


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