
क्या होता है जब गांवों में पानी से पहले 5G पहुंच जाता है?
कुछ गांवों में 5G आ चुका है पर पानी की सप्लाई नहीं। यह लेख देखता है कि क्या होता है जब डिजिटल कनेक्टिविटी बुनियादी सुविधाओं से पहले पहुँच जाती है और इसका असर ग्रामीण जीवन पर क्या होता है।
1. कनेक्टिविटी की जीत, जरूरतों की हार
सरकारें गर्व से कहती हैं कि डिजिटल इंडिया अब गांव तक पहुँच गया है। पर डिजिटल कनेक्टिविटी के जश्न के बीच पानी, सड़क और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी आवाजें दब जाती हैं। खेत के बीच वीडियो कॉल करना संभव है पर फसल को सींचने के लिए पानी नहीं मिलता। टावर खड़ा है पर स्कूल की छत टपकती है।
2. मोबाइल नेटवर्क तेज पर सरकारी फाइलें धीमी
बहुत से इलाकों में 5G टावर लगाने की प्रक्रिया जल परियोजनाओं से तेज रही। कारण साफ है - optics और visibility। telecom कंपनियाँ remote areas तक पहुँचने की होड़ में हैं। जल विभाग tender और sanction की प्रक्रियाओं में उलझा रहता है। एक तरफ data plans का प्रचार है, दूसरी तरफ tanker की कतार।
3. युवा रील बनाते हैं पर नल सूखा रहता है
गांव के युवा अब 5G पर रील बनाकर viral होते हैं और digital presence दिखाते हैं। पर उसी रील के comment में कभी लिख दिया जाता है कि बिजली चली गई तो upload नहीं हुआ। टेकअडॉप्शन अच्छी बात है पर infrastructure कच्चा रहे तो यह कहानी अधूरी रहती है।
4. अनुभव - जहां tower है वहां tanki नहीं
मैंने खुद अपने गांव में देखा है - mobile tower पाँच साल पहले लग गया और 5G connectivity भी आ गई। लेकिन नल में पानी आज भी कभी आता है कभी नहीं। गांव के लोग कहते हैं कि नेटवर्क शहर जैसा हो गया पर complaint करने पर भी कोई सुनने वाला नहीं मिलता। बच्चे online class ले सकते हैं पर स्कूल में बिजली अक्सर नहीं रहती।
हर घर नल हर घर जल का नारा दीवारों पर लिखा मिलता है पर असलियत यह है कि नल तो है पर जल नहीं। गांव digital हो गया होने का दिखावा करता है पर tanker की कतार अभी भी ही रोज़ दिखती है। यह विरोधाभास नहीं बल्कि विकास नीति का चेहरा बन गया है।
5. विशेषज्ञता - रिपोर्ट क्या कहती हैं
NITI Aayog और Ministry of Jal Shakti की रिपोर्ट बताती हैं कि 2025 तक 5G कवरेज तेजी से बढ़ सकती है पर piped water coverage अभी भी कई जिलों में कम है। आंकड़े दिखाते हैं कि digital reach और basic amenities में गैप बना हुआ है। policy makers इसे आधुनिक छलांग कहते हैं पर सवाल यह है कि बिना पानी के digital कनेक्टिविटी टिकाऊ कैसे रहेगी।
6. प्रामाणिकता - प्राथमिकता का गलत क्रम
टेक्नोलॉजी बुरी नहीं पर प्राथमिकताओं का क्रम गलत हुआ लगता है। गांवों में 5G आना अच्छा है पर drainage, sanitation और primary health centers की मजबूती भी जरूरी है। AI और digital labs की चमक तभी मायने रखेगी जब बेसिक सर्विसेस भी मज़बूत हों।
7. भरोसा - असली विकास का पैमाना
विकास सिर्फ fast internet नहीं है बल्कि slow लेकिन स्थिर जिंदगी भी है। जब बच्चा भूख से परेशान हो और उसके हाथ में high-speed फोन हो तो यह 5G नहीं बल्कि विडंबना है। digital revolution तभी meaningful होगा जब tanki और tower एक साथ खड़े हों।
8. निष्कर्ष - चमक और छाया दोनों दिखानी चाहिए
5G का आना गौरव की बात है पर अगर उसी गांव में पानी का tanker राजनीति की वजह से दो हफ्ते नहीं आता तो connection सिर्फ data का नहीं विचार का भी टूटना है। Digital Bharat तब तक अधूरा रहेगा जब तक signal bars के नीचे tap में पानी भी न बहे।
लेख © 2025 Desi Radar. स्रोत: NITI Aayog, Ministry of Jal Shakti, field observations और policy reports.