The Ghost Towns of Uttarakhand – गीतों में बचा हुआ गाँव | Desi Radar
Desi Radar
tracking trending things in india
Published: 6 October 2025

The Ghost Towns of Uttarakhand – गीतों में बचा हुआ गाँव

कभी पहाड़ों की हवा में गीत गूंजते थे। किसी खेत के किनारे कोई “Bandi Dinu Ma Dikhe” गुनगुनाता था, तो किसी पैंद में “Phooldeyi” के गीत से बच्चे फूल बिखेरते थे। अब वही गीत रेडियो और YouTube तक सीमित हैं। गाँवों में ध्वनि बची नहीं, बस प्रतिध्वनि रह गई है। और इस सन्नाटे में जब ये पुराने गीत सुनता हूँ, तो लगता है जैसे पहाड़ अब भी पूछ रहा है – “तू लौटेगा न कभी?”

Ghost towns of Uttarakhand feature - Desi Radar

गीतों में बचा हुआ अतीत

Narendra Singh Negi का “Bandi Dinu Ma Dikhe” कोई साधारण गीत नहीं – वो समय की चिट्ठी है। जब वो गाते हैं “Bandi dinu ma dikhe aaj– तो दिल में टीस उठती है। “Phooldeyi” सुनते हुए लगता है जैसे बचपन की धूप लौट आई हो। वो बच्चे जो घर-घर जाकर फूल डालते थे, अब उनकी हँसी भी किसी पुराने cassette में कैद है।

पहाड़ की चुप्पी, शहर का शोर

शहर में हर कोई अपनी आवाज़ सुना रहा है, पर पहाड़ों की चुप्पी और गहरी होती जा रही है। जो गाँव कभी गाने से भरते थे, अब वहाँ हवा की सिसकी बजती है। कभी जिन दीवारों पर “स्वागत” लिखा था, अब वहाँ सिर्फ काई चिपकी है। Negi जी की आवाज़ गूंजती है तो लगता है कोई पुराना दोस्त कह रहा हो – “अब भी वक्त है लौट आ।”

मैं भी दोषी हूँ

मैं भी उन लोगों में हूँ जिन्होंने पहाड़ को nostalgia बना दिया। गाँव को पोस्टकार्ड समझा, घर को कहानी। हमने कहा – “वहाँ कुछ नहीं है,” और आज वहाँ सिर्फ हम नहीं हैं। हमने सोचा पलायन ही विकास है, पर शायद उसके साथ हमारी पहचान भी बह गई।

हम हिमालय की बर्फ जैसे हो गए

“गढिन्यों मा मिली गे जु ह्यूं उंड बौगी, जु रैगे हिमालय मा वी चमकुनु चा।”
जो बर्फ हिमालय में टिकी रही, वही आज भी चमक रही है। हम उस बर्फ जैसे हो गए जो पिघलकर नदियों में बह गई, और जो वहीं रह गई – वही अब भी चमक रही है। शहरों में बहते हुए हमने अपनी पहचान खो दी।

फूलदेई का मौसम अब भी आता है

फिर भी उम्मीद बाकी है। कुछ बच्चे अब भी फूल डालते हैं, कुछ घरों में गीत गूंजता है। Pandavaas का “Phooldeyi” सुनते हुए लगता है यह पर्व नहीं, पुकार है – “जितिक दिन सूरज उगूं, तिक दिन गाँव मरो नी।” जब तक सूरज उगता है, गाँव कभी नहीं मरता।

गीतों में बचा Uttarakhand

Negi जी के गीत और Pandavaas की धुनें अब असली Uttarakhand हैं – जो Spotify पर नहीं, सीने में धड़कता है। इन गीतों ने वो किया जो हम नहीं कर सके – पहाड़ को ज़िंदा रखा।

निष्कर्ष – लौटने की धुन

शायद यही लौटने का पहला कदम है – पहले गीत लौटें, फिर लोग। Negi जी की आवाज़ और Phooldeyi का फूल हमें याद दिलाते हैं कि पहाड़ आज भी वहीं हैं – बस इंतज़ार में।

Original Content Notice:
यह लेख Desi Radar द्वारा स्वतंत्र रूप से लिखा गया है। सभी भाव लेखक के व्यक्तिगत अनुभव और स्थानीय लोकगीतों से प्रेरित हैं। © Desi Radar 2025